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भारत का गगनयान मिशन 2024 में: इसरो प्रमुख



भारत अंतरिक्ष में अपना पहला मानव मिशन गगनयान-3 अगले साल 2024 में लॉन्च कर सकता है। इसे लेकर हर स्तर पर बारीकी से परीक्षण किए जा रहे हैं। एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षा की दृष्टि से इसरो पहले मानव रहित तरीके से गगनयान की लॉन्चिंग करेगा। यह बात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) के चेयरमैन डॉ एस. सोमनाथ ने विशेष साक्षात्कार में कही है। वे मंगलवार को 8वें भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ)-2022 के समापन सत्र में शामिल होने के लिए भोपाल पहुँचे थे। इसरो प्रमुख डॉ एस. सोमनाथ से हितेश कुशवाहा / राहुल चौकसे की विशेष बातचीत के प्रमुख अंश यहाँ प्रस्तुत किये जा रहे हैं।

प्रश्न: भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में छात्रों एवं प्रतिभागियों का उत्साह देखकर कैसा लग रहा है?
उत्तर: सब मुझे उत्साह से लबरेज नज़र आए। युवाओं की जबरदस्त सहभागिता दिखी है। इस आयोजन में अभूतपूर्व प्रतिसाद देखने को मिला।

प्रश्न: केंद्र सरकार ने हाल ही में स्पेस सेक्टर को निजी क्षेत्रों के लिए खोला है। इसरो के नजरिये से भविष्य में इसके क्या लाभ होंगे?
उत्तर: सरकार ने दो साल पहले स्पेस सेक्टर रिफॉर्म्स-2020 जारी किया था। यह इसका तीसरा साल है। हमने बहुत से काम किए हैं। पहला, हमने 'इन-स्पेस' का गठन किया, जो अधिकृत करने, बढ़ावा देने व सहयोग देने वाली एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है। इसकी मदद से स्पेस सेक्टर में 100 से अधिक स्टार्टअप और कम्पनियों को मदद मिली है। दूसरा, हमने न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) पब्लिक सेक्टर यूनिट बनायी है, जो मांग के अनुरूप काम करेगी। तीसरा, इसरो स्टार्टअप्स को भी मदद कर रहा है ताकि वो आगे आ सकें।


प्रश्न: चंद्रमा पर भारत का पहला मानव मिशन गगनयान-3 कब तक लॉन्च होगा। आप इसरो की इस उपलब्धि को किस ऊंचाई पर देखते हैं?
उत्तर: चन्द्रमा की यात्रा पर हम एक बार चन्द्रयान मिशन-2 में जा चुके हैं। बस वहां लैंडिंग नहीं हो सकी थी। ओरबिटर वहाँ है और उससे काफी वैज्ञानिक शोध हो रहे हैं। चन्द्रयान-3 को हम जून 2023 में लान्च कर रहे हैं। उसके बाद गगनयान अभियान शुरू होगा। हमारा 2024 का लक्ष्य है। हम काफी परीक्षण कर रहे हैं। हमारे एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षा की दृष्टि से यह बहुत जरूरी है। इसके बाद हम मानव रहित तरीके से टेस्टिंग के बारे में सोच सकते हैं। हमारे साइंटिस्ट की जान को खतरा नहीं होना चाहिए।

प्रश्न: मंगल मिशन के बाद गगनयान-3 मिशन सबसे कम खर्च में होने जा रहा है। यह उपलब्धि हमने कैसे हासिल की है?
उत्तर: हमारा अप्रोच अलग है। इसीलिए, यह किफायती है। हम बारीकी से विश्लेषण करते हैं। हम निर्माण लागत पर गहनता से अध्ययन करते हैं। हार्डवेयर निर्माण कैसे होगा। उन्हें रीसाइकिल कैसे किया जा सकता है। हम लागत को कम रखने के लिए निरंतर नवोन्मेषी प्रयास करते रहते हैं। यह हमारी खासियत है।

प्रश्न: स्कूली स्तर पर 10वीं और 12वीं के बच्चों के मन में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति काफी जिज्ञासा होती है। क्या इसरो के कार्यों और अंतरिक्ष से जुड़े विषय को सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए?
उत्तर: बिल्कुल, पाठ्यक्रम में शामिल कर सकते हैं। यूजीसी सहित हम अन्य मान्य संस्थाओं के साथ चर्चा में हैं। स्पेस कोर्स हम आईआईटी में शुरु करा रहे हैं। स्कूल में भी हम पांचवीं और सातवीं कक्षा के विषयों में इसे जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।


Government’s particular focus on strengthening S&T ecosystems: Agriculture Minister


Union Minister of Agriculture and Farmers Welfare, Narendra Singh Tomar, said that the science and technology sector’s development has made rapid progress under the leadership of Prime Minister Narendra Modi. Science and technology have touched and influenced every field of life and are one of the priorities of the Government of India. He was speaking during the closing ceremony of India International Science Festival (IISF)-2022, on Tuesday, at Maulana Azad National Institute of Technology (MANIT), Bhopal, Madhya Pradesh. The Union Minister said that Vigyan Bharti, State Government and Central Government together provided an efficient platform for students, scientists, and start-ups from across the country through this event. A large number of students and youth were invited to the festival. He said that our country is young and youth energy is its’ biggest strength. ‘Amritkaal’, as envisioned by Prime Minister Narendra Modi, is a period when the country can fulfill its biggest expectations and goals, drawing on the strength of the young population. For this, the Government of India is promoting science and technology extensively.

“Government’s priority can also be understood from the fact that the former Prime Minister Lal Bahadur Shastri had given the slogan of ‘Jai Jawan-Jai Kisan’. Later, Prime Minister Atal Bihari Vajpayee added ‘Science’ to make it ‘Jai Jawan-Jai Kisan-Jai Vigyan’. Prime Minister Modi has completed it by adding ‘Anusandhan’. Now it is ‘Jai Jawan-Jai Kisan-Jai Vigyan and Jai Anusandhan,” said Narendra Singh Tomar. “When we came into Government, the budget for science & technology was around Rs 2,000 crore, which was increased by our Prime Minister to more than Rs 6,000 crore,” he added.


Shri Tomar said that today no field was untouched by science and technology. In the agriculture sector too, due to technology, work has become easier, losses are being reduced and time is being saved. The use of drone technology is being made accessible to farmers. Farmers will get huge benefits through Digital Agriculture Mission, he said. Based on the way research is being done in the agriculture sector, we can say that in the coming days, India will increase its production and productivity by using technology. Along with fulfilling the country’s needs, we will also be successful in discharging our responsibilities toward the world. Addressing the function, the science and technology minister of Madhya Pradesh, Om Prakash Sakhlecha said, that the IISF2022 was a complete success as a large number of students and youth participated in it, and now they will be filled with curiosity and new zeal to do something big. He said, apart from Mega Start-up Expo, 1500 young scientists brainstormed on emerging technology in all areas of S&T including Biotechnology.Secretary, Ministry of Science and Technology, Dr S. Chandrasekhar in his address said that we will come up with better agenda next time. He said, Science has no boundaries and the India International Science Festival (IISF) is fast emerging as a platform to deliberate on global challenges. Shri Chandrasekhar said that IISF is happening at a time, when India has assumed the G-20 Presidency under Prime Minister Shri Narendra Modi, where we will be showcasing India’s power, not only in science and technology, but in every sector to the World. Chairman, ISRO, Dr S. Somanath told the gathering that we are celebrating science to give light and way to the future generation for making pioneering contributions in ‘Amritkaal’. Shri Somanath said, we have to be creative, and innovative and do many firsts in the world to become a scientific power. He expressed hope that India will become such a country by navigating the great scientific ecosystem that everyone in the world will aspire to come and live here. Dr Sudhir Bhaduria, Secretary General, Vigyan Bharati said that the Vigyan Bharati is working with the Science Ministries and Science Department of universities and colleges in India to promote the modern scientific outlook and thinking for the benefit of the country and the entire humanity. Nikunj Srivastava, S&T Secretary, Govt. of Madhya Pradesh; Dr. Sudhanshu Vrati, Executive Director, Regional Centre for Biotechnology (Faridabad); and Dr Anil Kothari were among other dignitaries of the programme. IISF Bhopal deliberated on 15 important events in a four-day science festival like the ‘Student Science Village’ where 2500 students participated and get exposed to new technologies and innovations. IISF-2022 with the theme of 'Moving towards Amritkal with Science, Technology and Innovation', was organized from 21 to 24 January 2023 at Bhopal, the city of lakes. The event was jointly organized in collaboration with the Ministry of Science and Technology, Ministry of Earth Sciences, Department of Atomic Energy, Department of Space, Madhya Pradesh Council of Science and Technology and Government of Madhya Pradesh and Vijnana Bharti. The Department of Biotechnology under the Ministry of Science and Technology was the nodal department for organizing this mega event. Regional Center for Biotechnology (RCB), Faridabad was the Nodal agency for the IISF-2022.


“वर्ष 2025 तक 150 बिलियन डॉलर तक पहुँच सकती है भारत की बायोइकनॉमी” - सुधांशु व्रती



भारत के हृदय प्रदेश मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ)-2022 काफी लोकप्रिय हो रहा है। इसके सफल आयोजन के पीछे भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के फरीदाबाद (हरियाणा) में स्थित क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (आरसीबी) की महत्वपूर्ण भूमिका है। देश के प्रख्यात इम्यूनोलॉजिस्ट एवं माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर सुधांशु व्रती आरसीबी के कार्यकारी निदेशक हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी के पूर्व वैज्ञानिक सुधांसु व्रती ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के पूर्व डीन भी रहे हैं। जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आपको वर्ष 2003 में सर्वोच्च भारतीय विज्ञान पुरस्कार "नेशनल बायोसाइंस अवार्ड फॉर करियर डेवलपमेंट’ से सम्मानित किया गया। आईआईएसएफ-2022 के दौरान प्रोफेसर सुधांशु व्रती के साथ सुप्रिया पांडेय की बातचीत के प्रमुख अंश प्रस्तुत हैं।

प्रश्न: देश में साइंस फेस्टिवल जैसे कार्यक्रमों की जरूरत क्यों हैं? इसकी मूल अवधारणा क्या है?
उत्तर: विगत दो दिन से यहाँ के माहौल में साफ देखा जा सकता है कि विद्यार्थियों और नौजवानों में साइंस फेस्टिवल को लेकर कितना उत्साह है। कितनी बड़ी संख्या में लोग महोत्सव में शामिल हो रहे हैं। अथवा विज्ञान से जुड़ रहे है। विज्ञान को घर घर तक पहुंचाना, विज्ञान को आम जनता से रूबरू कराना ही इसकी मूल अवधारणा है, जिससे कि विशेषकर विद्यार्थियों और नौजवानों को रुचि इस क्षेत्र में जागे।


प्रश्न:आईआईएसएफ जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित करते वक़्त आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? और आप उनका समाधान कैसे करते हैं?
उत्तर:ये बहुत बड़ा फेस्टिवल है, यहां 15 कार्यक्रम समानांतर रूप से चल रहे हैं। इतने बड़े कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए बहुत बड़ी टीम की जरूरत होती है। अच्छी बात ये है कि विज्ञान प्रसार और विभा इस कार्यक्रम को आयोजित करने, रूपरेखा बनाने और इसका प्रचार-प्रसार करने में हमारी मदद कर रहे हैं। सबसे बड़ा चैलेंज, जो हमारे साथ था, वह था समय की कमी। हमें इसका प्रस्ताव नवंबर, 2022 में मिला। अगर ज्यादा समय मिला होता तो हम कार्यक्रमों को और बेहतर तरीके से आयोजित कर पाते। लेकिन, अभी भी सभी कार्यक्रम बहुत अच्छे तरीके से हो रहे हैं। विद्यार्थी और युवा इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

प्रश्न:ऐसे भव्य आयोजनों का क्या परिणाम निकल कर आता है? क्या ये अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा कर पाते हैं?
उत्तर: मुझे लगता है कि हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। जब मैं मुख्य हॉल से होते हुए आ रहा था, तो मुझे करीब-करीब एक हजार बच्चों की लंबी कतार नजर आई और जब मैं अंदर आया तो वहाँ करीब एक हजार बच्चे बैठे हुए थे। प्रतिदिन फेस-टू-फेस कार्यक्रमों में स्कूली बच्चों की ही संख्या तीन हजार तक देखने को मिलती हैं, जिससे साफ जाहिर होता है कि उनमें विज्ञान के प्रति रुचि है। हम उस रुचि को और जागृत करने में सफल हो रहे हैं।

प्रश्न:आपने अपनी पीएचडी ‘ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी' से पूरी की है, ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों एवं तकनीक में भारत की तुलना में आप क्या अन्तर पाते हैं?
उत्तर:मैंने 1981 में पीएचडी की, और मुझे याद है कि उस समय हमारे देश में जिस क्षेत्र में मैं पीएचडी करना चाहता था, अर्थात वायरोलॉजी के क्षेत्र में, उसमें न के बराबर काम हुआ था। लेकिन, मैं मॉलीक्यूलर लेवल पर वायरोलॉजी के बारे में जानना चाहता था। इसलिए, मैंने ऑस्ट्रेलिया की एक बड़ी यूनिवर्सिटी को चुना। लेकिन, मैं कहना चाहूँगा कि पिछले करीब 25-30 वर्षों में हमारे देश में बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च के संसाधनों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

प्रश्न:भारत 2047 में आजादी के 100 वर्ष पूरे कर रहा है, प्रधानमंत्री जी के लक्ष्य 2047 को पूरा करने के लिए बायोटेक्नोलॉजी सेक्टर क्या योगदान दे रहा है?
उत्तर:देश के विकास के लिए इकनॉमी को आगे बढ़ाना बहुत जरूरी है। बायोटेक्नोलॉजी सेक्टर, जिसको अब हम बायोइकनॉमी के नाम से जानते हैं, वो पिछले छह-सात वर्षों से बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ा है। हमारी बायोइकनॉमी तकरीबन 80 बिलियन डॉलर की है। वर्ष 2025 तक हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह बढ़कर 150 बिलियन डॉलर हो जाए और मुझे लगता है कि 2047 ये तक आराम से एक हजार बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगी। देखा जाए तो ये बहुत बड़ा आँकड़ा है और अगर हम इसे हासिल कर पाए तो देश की इकनॉमी में हमारा बहुत बड़ा योगदान होगा।

प्रश्न:स्टार्टअप्स आत्मनिर्भर भारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, तो आपके अनुसार बायोटेक सेक्टर मे स्टार्टअप्स की क्या स्थिति है??
उत्तर:हर क्षेत्र में, खासकर बायोटेक सेक्टर में पिछले 3-4 वर्ष में स्टार्टअप्स की एक तरह से बाढ़ आयी हुई है। नये स्टार्टअप्स खुल रहे हैं, उनको मौके मिल रहे हैं, अनुकूल परिस्थितियां मिल रहीं हैं और सपोर्ट मिल रहा है। उदाहरण के तौर पर फरीदाबाद में हमने बायो इनक्यूबेटर रीजनल सेंटर बायोटेक्नोलॉजी के साथ खोला हुआ है और आज से करीब तीन-चार वर्ष पूर्व जब हम उसकी शुरुआत कर रहे थे तब मुझे लगा था शायद इतने स्टार्टअप्स फरीदाबाद क्षेत्र में हमें न मिल पाए। लेकिन, आज की तारीख में लगभग 100 स्टार्टअप्स को हम लोग सपोर्ट कर पाए हैं। स्टार्टअप्स ने हमारा 99 प्रतिशत स्थान घेरा हुआ है। नए स्टार्टअप्स को संयोजित करने के लिए हमारे पास जगह नहीं बची है, जिससे पता चलता है कि स्टार्टअप्स के प्रति लोगों का कितना रुझान बढ़ गया है।

प्रश्न:आईआईएसएफ-2022 की थीम को लेकर आपके क्या विचार हैं?
उत्तर:माननीय प्रधानमंत्री ने अगले 25 साल यानी 2047 तक को अमृतकाल घोषित किया है। उनका मानना है कि अगले 25 वर्षों में हमारे देश में जो काम होना है वह देश के लिए अमृत के समान सिद्ध होना चाहिए। जिससे कि हम एडवांस इकनॉमी के रूप में जाने जाए।

प्रश्न:देश के विकास में युवाओं की भूमिका को देखते हुए उनके लिए कोई संदेश?
उत्तर:विज्ञान एक साधना है। विज्ञान के क्षेत्र में कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। हमें पता है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के जरिए ही इस देश को आगे बढ़ा सकते हैं। ऐसे में हमें अपनी वैज्ञानिक सोच को बढ़ाना है, हमें विज्ञान के प्रति आम जनता में रुचि बढ़ानी है। जब हम ऐसा कर पाने में सफल होंगे तभी हम देश को आगे बढ़ा पाएंगे।


भारत के आठवें अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म पुरस्कार घोषित


इंटरनेशनल साइंस फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आईएसएफएफआई)-2022 में देश एवं दुनिया की कुल 13 फिल्मों को पुरस्कार मिला है। भोपाल में चल रहे चार दिवसीय इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ) के आठवें संस्करण के एक प्रमुख घटक के रूप में आईएसएफएफआई-2022 का आयोजन 21-23 जनवरी तक किया गया। इस साइंस फिल्म फेस्टिवल में चार विदेशी और नौ भारतीय फिल्मों को पुरस्कृत किया गया है। मध्य प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा, पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एवं न्यू मीडिया स्टडीज के संस्थापक निदेशक तथा आईएसएफएफआई-2022 के जूरी सदस्य शंभुनाथ सिंह, दक्षिण भारत में आरएसएस के संपर्क प्रमुख ए. जयकुमार, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति के.जी. सुरेश, सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, कोलकाता की पूर्व निदेशक एवं विज्ञान फिल्म फेस्टिवल की जूरी सदस्य डॉ देबमित्रा मित्रा, जाने-माने फिल्मकार एवं विज्ञान फिल्म फेस्टिवल के जूरी अध्यक्ष अरुण चड्ढा, AISECT विश्वविद्यालय, भोपाल के चांसलर संतोष चौबे, मशहूर फिल्म अभिनेता एवं जूरी सदस्य राजीव वर्मा, फिल्म महोत्सव के समन्वयक निमिष कपूर एवं विज्ञान प्रसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक टी.वी. वेंकटेश्वरन की उपस्थिति में आठवें अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म पुरस्कारों की घोषणा की गई है। अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म पुरस्कारों की ‘सतत् विकास के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार’ श्रेणी के अंतर्गत पहला पुरस्कार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स द्वारा निर्मित अंग्रेजी फिल्म ‘हानले: इंडियाज फर्स्ट डार्क स्काई रिजर्व’ को प्रदान किया गया है। यह फिल्म लद्दाख के हानले में हाल ही में अधिसूचित भारत के पहले डार्क स्काई रिजर्व के पीछे के विचार को प्रस्तुत करती है। प्रकाश प्रदूषण एक गंभीर वैश्विक मुद्दा है। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे वैज्ञानिक अनुसंधान, खगोलविदों, प्रशासन और स्थानीय समुदायों के सहयोग से अंधेरे आसमान को संरक्षित करने में प्रभावी हो सकता है।


इस श्रेणी में दूसरा पुरस्कार सत्यजित रे फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, कोलकाता द्वारा बांग्ला एवं अंग्रेजी भाषा में निर्मित ‘बोर्शी – द फिश’ को मिला है। यह फिल्म आधुनिक कोलकाता में वेटलैंड मत्स्यपालन की संभावनाओं तथा अपशिष्ट जल प्रबंधन, कैप्टिव मछली उत्पादन, और मछुआरों की स्थिति को रेखांकित करती है। इसी श्रेणी में तीसरा पुरस्कार अर्जुन रॉय, हर्षवर्धन ओझा एवं अनिमेष पांडेय द्वारा निर्देशित एवं अपरेश मिश्रा द्वारा निर्मित ‘मलबा-मलबा’ फिल्म को मिला है। यह फिल्म मलबे के ढेर से पैदा होने वाले आसन्न खतरों को उजागर करती हैं। ‘जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार’ नामक दूसरी श्रेणी के अंतर्गत पहला पुरस्कार विपुल कीर्ति शर्मा द्वारा निर्देशित एवं अशोक शर्मा द्वारा निर्मित फिल्म ‘स्ट्रगल फॉर सर्वाइवल’ को मिला है। यह फिल्म जमीन पर घोसला बनाने वाली गौरेया के आकार की बगेरी (Ashy-crowned sparrow-lark) नामक चिड़िया और टिटहरी (Lapwing) जैसे पक्षियों पर केंद्रित है। इस श्रेणी में दूसरा पुरस्कार यूके के निर्देशक लिओन मिशेल एवं निर्माता सिनालाइट की फिल्म ‘सीक्रेट्स ऑफ द फॉरेस्ट’ को मिला है। जबकि, इस श्रेणी में तीसरा पुरस्कार फिलीपीन्स की फिल्म ‘आई वाज जस्ट ए चाइल्ड’ को प्रदान किया गया है। इस फिल्म के निर्माता एवं निर्देशक ब्रीच एशेर मर्फिल हारानी हैं। छाया कठपुतली का उपयोग करते हुए यह फिल्म फिलीपींस में आए घातक सुपर टाइफून के कारण मानसिक और शारीरिक पीड़ा के अनुभव को बताती है। 'बेहतर जीवन के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार' नामक तीसरी श्रेणी के अंतर्गत पहला पुरस्कार अमेरिकी फिल्मकार टिफेनी डीटर की फिल्म ‘बायोफिजिकल फील्ड मेथड्स: गोबाबेब’ को प्रदान किया गया है। इस श्रेणी में दूसरा पुरस्कार भारत के फिल्मकार दीपक कुमार की फिल्म ‘एक्स्प्लोरिंग द ग्रेट इंडियन लिगेसीस’ और तीसरा पुरस्कार विज्ञान प्रसार (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग) द्वारा निर्मित एवं राकेश अंदानिया द्वारा निर्देशित फिल्म ‘सेविंग द हिमालयन याक’ को मिला है। बीजू पंकज द्वारा निर्देशित एवं मातृभूमि टेलीविजन द्वारा निर्मित ‘वंडर्स ऑफ हेमलकासा’ फिल्म के लिए एक स्पेशल जूरी पुरस्कार प्रदान किया गया है। इसके अलावा, तीन स्पेशल जूरी मेंशन पुरस्कार ‘रिक्लेमिंग वेस्टलैंड इन भोपाल’, ‘क्राइसिस’ और ‘आचार्य पीसी रे: द नेशनलिस्ट साइंटिस्ट’ को प्रदान किया गया है। ‘आचार्य पीसी रे: द नेशनलिस्ट साइंटिस्ट’ के निर्देशक नंदन कुधयादि और निर्माता विज्ञान भारती है। इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान की फिल्म ‘क्राइसिस’ के निर्माता शिवा मोमताहन और निर्माता सीमा मोमताहन हैं। जबकि, ‘रिक्लेमिंग वेस्टलैंड इन भोपाल’ फिल्म के निर्देशक मिधुन विजयन और निर्माता जोएल मिशेल हैं। आईएसएफएफआई के समन्वयक और विज्ञान प्रसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक निमिष कपूर ने बताया है कि “विज्ञान फिल्मोत्सव के अंतर्गत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शोध तथा विकास से जुड़े विविध विषयों पर चार श्रेणियों में फिल्म प्रविष्टियां आमंत्रित की गई थीं। फिल्म महोत्सव में प्राप्त कुल 437 प्रविष्टियों में से 61भारतीय और 33 विदेशी फिल्मों को समारोह के लिए नामांकित किया गया। 21 से 23 जनवरी तक चले तीन दिवसीय फिल्म फेस्टिवल के दौरान भोपाल के पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद संस्थान के रजत जयंती सभागार में भारत, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, रूस, कनाडा, इज़राइल, फिलीपींस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों की 90 से अधिक विज्ञान फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई है।” विज्ञान फिल्म महोत्सव के दौरान ‘जी20 के संदर्भ में भारत की प्राथमिकता एवं विज्ञान फिल्मों की भूमिका’ और ‘सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में विज्ञान फिल्मों की भूमिका’ जैसे विषयों पर केंद्रित विशेषज्ञ चर्चाएं भी आयोजित की गईं।


भोपाल में स्कूली छात्रों ने रचा इतिहास, एग्रीबॉट बनाकर तोड़ा विश्व रिकॉर्ड



भोपाल के मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में चल रहे भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ)-2022 के तीसरे दिन स्कूली छात्रों ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों के 1600 स्कूली विद्यार्थियों ने रोबोटिक तकनीक पर काम करते हुए कृषि कार्यों के लिए एक साथ और एक ही स्थान पर 1484 रोबोट बनाकर नया विश्व रिकॉर्ड कायम किया है। इस रोबोट को एग्रीबॉट नाम दिया गया है। उभरते वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लायी और कार्यक्रम में उपस्थित गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के प्रतिनिधि ऋषिनाथ ने विश्व कीर्तिमान की घोषणा की। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड लंदन के प्रतिनिधि ऋषिनाथ ने कहा कि आज का इवेंट एक बेंचमार्क है। इससे पहले 11 अगस्त 2019 को हांगकांग के रोबोट इंस्टीट्यूट के बच्चों ने एक साथ रोबोट वॉक कराया था। इस रिकॉर्ड को भोपाल में तोड़कर एक नया रिकॉर्ड भारत के खाते में आया है। इस गतिविधि में 1484 स्कूली बच्चों ने एक साथ एग्रीबॉट तैयार करके गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है। मध्यप्रदेश के विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने इस उपलब्धि पर बच्चों की मेहनत को खूब सराहा है। युवा वैज्ञानिकों के एग्रीबॉट देखकर उन्होंने कहा कि आज भोपाल की धरती पर एक विश्व कीर्तिमान बना है। मुझे बेहद खुशी है कि हमने आज चीन और हांगकांग को पीछे छोड़ दिया है। आप लोग ऐसे ही मेहनत करते रहिए आने वाले 4 साल में आप चीन के सभी रिकॉर्ड तोड़ देंगे। मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा कि “हम ऐसे खिलौनों का निर्माण करें, जो बच्चों के लिए हानिकारक न हों। बाजार में मिलने वाले ज्यादातर खिलौने चाइनीज हैं, जिनमें खतरनाक केमिकल और डाई का इस्तेमाल होता है। कई बार हमारे बच्चे खेल-खेल में इन्हें अपने मुँह में रख लेते हैं, जिससे स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार के खतरे पैदा हो जाते हैं।” उन्होंने कहा कि एग्रीबॉट जैसे कार्डबोर्ड से और भी ऐसे खिलौने बनाये जाने चाहिए, जिनसे हमारे बच्चे खेल-खेल में कुछ सार्थक चीजें सीखते जाएं।


इस वर्ल्ड रिकॉर्ड की खास बात यह है कि इस एग्रीबॉट के निर्माण में जो भी चीजें लगी हैं, वो सभी ‘मेड इन इंडिया’ हैं। एग्रीबॉट के निर्माण में कोई भी पार्ट चीन या दूसरे देशों का नहीं है। इस गतिविधि में शामिल स्कूली बच्चों को एक किट प्रदान की गई। इस किट में दो व्हील, एक मोटर, एक बैटरी, तीन सीड बॉक्स, वॉटर टैंक, कार्ड बोर्ड शामिल थे। एग्रीबॉट को असेंबल करने के लिए प्रतिभागियों को एक घंटे का समय दिया गया। इससे पहले एग्रीबॉट से संबंधित सात मिनट का वीडियो बच्चों को दिखाया गया था। इस एग्रीबॉट से खेती के काम जैसे- बुआई, सिंचाई, कटाई और बखरनी की जा सकती है। वर्ल्ड रिकॉर्ड गतिविधि की सह-समन्वयक डॉ मयूरी दत्त ने कहा कि “मैं पाँच साल से विज्ञान आधारित परियोजनाओं को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए कार्यक्रम कर रही हूँ। लेकिन, विज्ञान महोत्सव में बना एग्रीबॉट तैयार करने का यह कीर्तिमान अपने आप में बेहद खास है। इस इवेंट में 1600 प्रतिभागी शामिल हुए। इनमें भोपाल और मध्य प्रदेश के कई स्कूलों के विद्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। लगभग 250 प्रतिभागी ऐसे भी हैं, जो अन्य राज्यों से स्वप्रेरणा से यहाँ पहुँचे थे।”


Science-rich cinema empowers the nation and people


Science-rich cinema strengthens society and is an effective tool to empower the nation, said, Dr Chandra Mohan Nautiyal, Consultant, Science Communication, at Indian National Science Academy (INSA), New Delhi. He was speaking as a keynote speaker at the three-day International Science Film Festival of India (ISFFI), conducted as a part of the India International Science Festival (IISF) 2022. A renowned scientist, Dr Nautiyal delivered his keynote address on “Films to Reflect India’s Emergence as Science & Technology Leader” in special context of Science-20 (S-20), one of the working groups of G-20 being presided over by India in 2023. It was addressed to a gathering of science filmmakers and science film enthusiasts assembled at Rajat Jayanti Auditorium, Pt. Khushilal Sharma Ayurveda Institute, Bhopal, Madhya Pradesh.The theme of the S-20 for 2023 is ‘Disruptive Science for Innovative and Sustainable Development.’ For the past several years, the group of G20 countries has been working towards addressing other global challenges such as climate change mitigation and sustainable developmentSeveral working groups have been established, including S-20, to achieve these goals.International Science Film Festival of India (ISFFI) is a major component of four-day India International Science Festival (IISF)-2022, inaugurated on Saturday, in the presence of Chief Minister, Madhya Pradesh, Shivraj Singh Chauhan; and Union Minister of State (Independent Charge) Science & Technology; Minister of State (Independent Charge) Earth Sciences; Minister of State PMO, Personnel, Public Grievances, Pensions, Atomic Energy and Space, Dr Jitendra Singh’Principal Scientific Adviser to the Government of India, Prof. Ajay Kumar Sood; Rajesh S. Gokhale, Secretary, Department of Biotechnology, Government of India.

International Science Film Festival of India (ISFFI) is a major component of four-day India International Science Festival (IISF)-2022, inaugurated on Saturday, in the presence of Chief Minister, Madhya Pradesh, Shivraj Singh Chauhan; and Union Minister of State (Independent Charge) Science & Technology; Minister of State (Independent Charge) Earth Sciences; Minister of State PMO, Personnel, Public Grievances, Pensions, Atomic Energy and Space, Dr Jitendra Singh’Principal Scientific Adviser to the Government of India, Prof. Ajay Kumar Sood; Rajesh S. Gokhale, Secretary, Department of Biotechnology, Government of India; Dr N Kalaiselvi, DG, CSIR and Secretary, DSIR; M. Ravichandran, Secretary, MoES; Om Prakash Sakhlecha, S&T Minister, Madhya Pradesh; and Nikunj Srivastava, Secretary- S&T, Madhya Pradesh, were also present during the inauguration of IISF-2022, in Maulana Azad National Institute of Technology (MANIT) of Bhopal. Stating the resilience of India during the COVID-19 pandemic, Dr CM Nautiyal highlighted the strength of science and technology, and its crucial role in educating people about the disease. He also stated the importance emergence of G-20 and S-20 initiatives, and how these have helped in sustainable development. As S-20 stands for Cooperation in Science, the benefits of science and its various fields can easily be incorporated in the betterment of human values and civilization. Engagement of scientists and researchers in the S-20 programmes through communication is much needed to make any nation a superpower. These developmental programmes are backhanded by multiple channels of communication, and one of the efficient medium is film and cinema, said, Dr Nautiyal. As film and cinema can easily be understood by masses, it can also be used to portray science and its different aspects and roles in human civilization. This can be done by targeting niche audience like students and youth who have been perceiving science as creativity and innovation. In India, around 4000 science-based films have already been produced and made available to the audience by VIGYAN PRASAR. Some other institutions like DD, NCSTC (DST) and some private channels too are the main players in the science film making world, said, DR Nautiyal. Dr Nautiyal said, western cinema, already rich in the science-fiction genre, has produced movies like JURASIC PARK, INTERSTELLAR, GRAVITY, STAR WARS, and created a totally different world for its viewers. Movies like Mr. X IN Bombay, Koi Mil Gaya, Krrish, and Drona have represented Indian Cinema in the science-fiction league. Science and technology, on a whole control the destinies of a nation and eventually help in shaping the industrialization and technological emergence of a nation. Arun Chadha, Veteran Filmmaker and Jury Chair, ISFFI-2022; Prof. Shambhu Nath Singh, Former VC, Patna University, Jury Member, ISFFI-2022; Rajiv Verma, Veteran Actor, Jury Member, ISFFI-2022, Dr Nakul Parashar, Director, Vigyan Prasar, Dr Sudhir S. Bhadauria, Secretary General, Vijnana Bharati; and Nimish Kapoor, Festival Convener, Scientist-E, Vigyan Prasar were also present on the occasion. ‘International Science film festival of India is playing a crucial role in Science Communication, Popularisation & its Extention (SCoPE),’ said Dr Nakul Parashar, Director, Vigyan Prasar. Nimish Kapoor, Coordinator, ISFFI-2022, said, “Film entries were invited in four categories related to science, technology, and research & development. Out of 437 entries received, 61 Indian and 33 foreign films have been nominated for the festival. Special screening of award winning science films from India, Switzerland, Germany, Russia, Canada, Israel, Philippines, USA, Australia and other countries will be done at the film festival. There is no participation fee for the film festival. People of all age groups including children and students can come and watch the science films during 21 to 23 January 2023.” A film - 'Return of Cheetah' was screened during the inaugural session of the film festival. This 2.27 minute film has been produced by Creative Channel and Ministry of Forest and Climate Change. The short film beautifully depicts how the return of cheetahs to India is a step towards correcting the man-made ecological fault. Introduction to Namibian Cheetahs Coming to India is a historical event in the world because never a large carnivorous animal migrated from one continent to another. (India Science Wire)


भोपाल में आठवें भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव का भव्य शुभारंभ



मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने शनिवार को भोपाल में संयुक्त रूप से इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ-2022) का उद्घाटन किया। विज्ञान के महाकुंभ के नाम से विख्यात इस महोत्सव की थीम “विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार के साथ अमृतकाल की ओर अग्रसर” है।

ओम प्रकाश सखलेचा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, मध्य प्रदेश सरकार, प्रोफेसर अजय कुमार सूद, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, भारत सरकार, डॉ राजेश गोखले, सचिव जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, डॉ एन. कलैसेल्वी, महानिदेशक, सीएसआईआर एवं सचिव, डीएसआईआर, डॉ सुधीर भदौरिया, महासचिव, विज्ञान भारती, डॉ संजय मिश्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, निकुंज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, मध्य प्रदेश, और भारत सरकार तथा मध्य प्रदेश सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि अकेले मध्य प्रदेश में एक साल में 2600 स्टार्ट-अप शुरू हुए और यह केवल इंदौर शहर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी सफल स्टार्ट-अप की भरमार है। उन्होंने मध्य प्रदेश के विद्यार्थियों और उद्यमियों से नवाचार के प्रति उत्साह विकसित करने का आह्वान किया। अपने वक्तव्य में डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत क्वांटम टेक्नोलॉजी में एक बड़ी छलांग लगाने की तैयारी कर रहा है, जो भविष्य के विज्ञान को दुनिया की प्रमुख समस्याओं के व्यावहारिक समाधान के साथ परिभाषित करेगा। डॉ सिंह ने कहा कि आईआईएसएफ-2022 का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत ने 2023 में जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की है। यह न केवल बहुआयामी विकासात्मक आयामों को प्रदर्शित करेगा, बल्कि भारत की सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त क्षमता को भी प्रदर्शित करेगा।


उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को 'अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष' घोषित किया है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि भारत 2023 में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक की भी अध्यक्षता करेगा, इस प्रकार यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के बढ़ते कद को प्रदर्शित करेगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जून 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को अनलॉक करने, ड्रोन प्रौद्योगिकियों के उदारीकरण, भू-स्थानिक दिशानिर्देशों के लिए कैबिनेट की मंजूरी और हाल ही में 20000 करोड़ रुपये के हरित हाइड्रोजन मिशन जैसे ऐतिहासिक फैसलों ने भारत के तेजी से विकास के लिए नए रास्ते खोले हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि "प्रौद्योगिकी और नवाचार" भारत की 2047 की अर्थव्यवस्था के पथप्रदर्शक होने जा रहे हैं, जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष मनाएगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि जून 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोले जाने के बाद, दो वर्षों में लगभग 120 डीप टेक अंतरिक्ष स्टार्ट-अप भारत में आए हैं। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष स्टार्ट-अप न केवल अंतरिक्ष में रॉकेट भेज रहे हैं, बल्कि उपग्रह निर्माण, कचरा प्रबंधन और कई अन्य दैनिक जीवन से जुड़े क्षेत्रों में भी स्टार्ट-अप शामिल हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज विज्ञान जीवन के हर क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है और यह न केवल भारत की अर्थव्यवस्था या युवाओं से संबंधित है, बल्कि भारत के भविष्य के साथ भी गहराई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने समावेशी जुड़ाव को भी रेखांकित किया और गर्व के साथ कहा कि महिला वैज्ञानिक गगनयान परियोजना सहित प्रमुख विज्ञान और प्रौद्योगिकी मिशनों में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। मध्य प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओम प्रकाश सखलेचा ने बताया कि भोपाल में चार दिवसीय विज्ञान महोत्सव में स्टूडेंट साइंस विलेज की तरह 15 महत्वपूर्ण आयोजन होंगे, जिसमें 2500 छात्र भाग लेंगे और नई तकनीकों और नवाचारों से रूबरू होंगे। उन्होंने कहा कि मेगा स्टार्ट-अप एक्सपो के अलावा 1500 युवा वैज्ञानिक जैव प्रौद्योगिकी सहित सभी क्षेत्रों में उभरती प्रौद्योगिकी पर मंथन करेंगे। श्री सखलेचा ने कहा कि अमृतकाल में नवाचार नए भारत को परिभाषित करेंगे और स्टार्ट-अप और उद्योगों को आगे बढ़ने के लिए भारत सरकार और मध्य प्रदेश सरकार दोनों ही भरपूर सहयोग दे रही हैं। प्रोफेसर अजय सूद, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, भारत सरकार ने बताया कि विज्ञान एक स्थिर विषय नहीं है, बल्कि हर दिन नई सफलता के साथ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हर प्रगति में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचारों का योगदान होता है। प्रोफेसर सूद ने कहा कि भारत बहुत कम समय में इनोवेशन इंडेक्स में 86 से 41वीं रैंक पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि सेमी-कंडक्टर मिशन शुरू होने से भारत की अर्थव्यवस्था को बूस्टर डोज मिलने जा रहा है। उन्होंने रेखांकित किया कि हमें सर्कुलर इकोनॉमी को रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बनाने के लिए प्रयास करने होंगे और वेस्ट टू वेल्थ कार्यक्रम की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्रयास करने होंगे। जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भविष्य की सभी चुनौतियों से सार्वभौमिक वैज्ञानिक हस्तक्षेप से ही निपटा जा सकता है, जिसे कोविड संकट ने काफी हद तक प्रदर्शित किया है। उन्होंने कहा कि डीबीटी वैश्विक प्रभाव के साथ भारत में बायोटेक स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है।


देश और लोगों को सशक्त बनाता है वैज्ञानिक चेतना से लैस सिनेमा


भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) में विज्ञान संचार सलाहकार डॉ चंद्र मोहन नौटियाल ने कहा कि विज्ञान से भरपूर सिनेमा समाज की तकनीकी ताकत है और यह देश और इसके लोगों को सशक्त बनाने का एक प्रभावी उपकरण है। वह शनिवार को रजत जयंती सभागार, पं. खुशी लाल शर्मा आयुर्वेद संस्थान, भोपाल, मध्य प्रदेश में शुरू हुए तीन दिवसीय भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव (आईएसएफएफआई) में मुख्य वक्ता के तौर पर बोल रहे थे। प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. चंद्र मोहन नौटियाल जी-20 के कार्यकारी समूहों में से एक विज्ञान-20 (एस-20) के विशेष संदर्भ में "फिल्म्स टू रिफ्लेक्ट इंडियाज इमर्जेंस एज साइंस एंड टेक्नोलॉजी लीडर" विषय पर सभा को संबोधित कर रहे थे। वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता भारत कर रहा है। 2023 के लिए S-20 की थीम 'नवोन्मेषी और सतत् विकास के लिए विघटनकारी विज्ञान' है। पिछले कई वर्षों से, G-20 देशों का समूह जलवायु परिवर्तन शमन और सतत् विकास जैसी अन्य वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में काम कर रहा है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए S-20 सहित कई कार्यकारी समूहों की स्थापना की गई है।

इंटरनेशनल साइंस फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (ISFFI); भोपाल के मौलाना आज़ाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (MANIT) में चल रहे चार दिवसीय भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ)-2022 का एक प्रमुख घटक है। आईआईएसएफ-2022 का उद्घाटन शनिवार को मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश, शिवराज सिंह चौहान; और केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; एमओएस पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में किया गया है।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद; राजेश एस. गोखले, सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार; डॉ एन कलैसेल्वी, महानिदेशक, सीएसआईआर और सचिव, डीएसआईआर; एम. रविचंद्रन, सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय; ओम प्रकाश सखलेचा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, मध्य प्रदेश; और निकुंज श्रीवास्तव, सचिव-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, मध्य प्रदेश भी आईआईएसएफ के उद्घाटन के दौरान भी मौजूद थे। कोविड-19 महामारी के दौरान भारत के लचीलेपन का उल्लेख करते हुए, डॉ. सीएम नौटियाल ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी की ताकत और लोगों को बीमारी के बारे में शिक्षित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने जी-20 और एस-20 पहलों के महत्व के बारे में भी बताया। डॉ. नौटियाल ने कहा, एस-20 विज्ञान में सहयोग के लिए शुरू की गई पहल है। किसी भी राष्ट्र को महाशक्ति बनाने के लिए संचार के माध्यम से एस-20 कार्यक्रमों में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की भागीदारी बहुत आवश्यक है। इन विकासात्मक कार्यक्रमों को संचार के कई चैनलों द्वारा समर्थित किया जाता है, और ऐसे कुशल माध्यमों में से एक फिल्म और सिनेमा है। डॉ नौटियाल ने कहा, “चूंकि फिल्म और सिनेमा को बड़े पैमाने पर लोगों द्वारा आसानी से समझा जा सकता है, खासकर आमजन द्वारा भी इसे समझा जा सकता है। इसीलिए, फिल्मों का उपयोग मानव सभ्यता में विज्ञान और उसके विभिन्न पहलुओं और भूमिकाओं को चित्रित करने के लिए प्रभावी माध्यम के रूप में किया जा सकता है। यह छात्रों और युवाओं जैसे आला दर्शकों को लक्षित करके परिवर्तनकारी प्रभाव छोड़ने में सक्षम है। भारत में, विज्ञान प्रसार द्वारा लगभग 4000 विज्ञान फिल्में पहले ही बनायी जा चुकी हैं और दर्शकों के लिए उपलब्ध करायी जा चुकी हैं। कुछ अन्य संस्थान जैसे डीडी, एनसीएसटीसी (डीएसटी) और कुछ निजी चैनल भी विज्ञान फिल्म बनाने की दुनिया में मुख्य खिलाड़ी हैं।” डॉ नौटियाल ने कहा, पश्चिमी सिनेमा, जो पहले से ही साइंस फिक्शन शैलियों में समृद्ध था, ने जुरासिक पार्क, इंटरस्टेलर, ग्रेविटी, स्टार वार्स जैसी फिल्मों का निर्माण किया, और अपने दर्शकों के लिए एक पूरी तरह से अलग दुनिया बनायी। वहीं, ‘मिस्टर एक्स इन बॉम्बे’, ‘कोई मिल गया’, ‘क्रिश’ और ‘द्रोणा’ जैसी फिल्मों ने साइंस फिक्शन लीग में भारतीय सिनेमा का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने कहा, “विज्ञान और प्रौद्योगिकी, कुल मिलाकर एक राष्ट्र की नियति को नियंत्रित करते हैं, और अंततः राष्ट्र के औद्योगीकरण और तकनीकी उद्भव को आकार देने में मदद करते हैं।” अरुण चड्ढा, फिल्म निर्माता और जूरी अध्यक्ष, आईएसएफएफआई-2022; प्रो. शंभुनाथ सिंह, पूर्व कुलपति, पटना विश्वविद्यालय और संस्थापक निदेशक, SoJMS, इग्नू, जूरी सदस्य, आईएसएफएफआई-2022; राजीव वर्मा, प्रसिद्ध अभिनेता, जूरी सदस्य, आईएसएफएफआई-2022; डॉ नकुल पाराशर, निदेशक, विज्ञान प्रसार; डॉ सुधीर एस. भदौरिया, महासचिव, विज्ञान भारती; और निमिष कपूर, फिल्म महोत्सव के संयोजक एवं वैज्ञानिक-ई, विज्ञान प्रसार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।


विज्ञान महोत्सव में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड पर होगी नज़र



मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 21 से 23 जनवरी तक आयोजित होने वाले इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ)-2022 के दौरान गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के प्रयास किये जाएंगे। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से संबंधित गतिविधियों के अंतर्गत मोटा अनाज वर्ष (Year of millets) पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जिसे माननीय प्रधानमंत्री द्वारा घोषित किया गया है। इसमें भोपाल के 1500 से ज्यादा छात्रों द्वारा एक साथ रोबोटिक सिस्टम से बीज बोने का रिकॉर्ड बनाने की कोशिश की जाएगी।गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड से जुड़ी गतिविधियों के दौरान भविष्य के उभरते युवा वैज्ञानिक एक साथ प्रयोग करते हैं और वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का प्रयास करते हैं। विश्व रिकॉर्ड बनाने के इन प्रयासों में प्रोटोटाइप मॉडल की एक साथ असेंबली और व्यावहारिक विज्ञान मॉडल का प्रदर्शन शामिल है।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम करने के उद्दश्यों में आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार’ के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ लोगों को उनके प्रभावी योगदान देने के लिए सक्षम बनाना शामिल है। आईआईएसएफ के पूर्व संस्करणों में स्थापित 14 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स को भी इस दौरान ‘वॉल ऑफ फेम’ पर प्रदर्शित किया जाएगा। गत वर्ष गोवा में इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल-2021 के दौरान तीन गिनीज रिकॉर्ड बने थे। इनमें 'एक ही स्थान पर एक साथ सबसे अधिक लोगों द्वारा मॉडल रॉकेट किट को असेंबल करना'; 'वर्षा जल संचयन किट को ऑनलाइन एवं एक ही स्थान पर एक साथ सबसे अधिक लोगों द्वारा असेंबल करना'; और 'एक ही स्थान में सबसे बड़े अंतरिक्ष अन्वेषण पाठ' के लक्ष्य को प्राप्त करना शामिल है। वर्ष 2015 में आईआईएसएफ की शुरुआत के बाद से अब तक गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड विज्ञान के इस महाकुंभ का एक अभिन्न अंग रहा है। रिकॉर्ड-ब्रेकिंग उपलब्धियों को दर्ज करने और उन्हें मान्यता प्रदान करने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड वैश्विक संस्था है, जो नये रिकॉर्ड बनाने की कोशिश करने वालों के लिए वैश्विक पटल पर अपनी छाप छोड़ने का अवसर प्रदान करती है।



भारत के अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव में 59 देशों से मिली प्रविष्टियां


इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ)-2022 के एक प्रमुख घटक के रूप में इंटरनेशनल साइंस फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आईएसएफएफआई) का आयोजन आगामी 21 से 23 जनवरी को भोपाल में किया जा रहा है। आईआईएसएफ के 8वें संस्करण के अंतर्गत आयोजित होने वाले इस अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्मोत्सव में 59 देशों से विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार पर आधारित कुल 437 फिल्म प्रविष्टियां प्राप्त हुई हैं।

आईएसएफएफआई के समन्वयक और विज्ञान प्रसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक निमिष कपूर ने बताया है कि “विज्ञान फिल्मोत्सव के अंतर्गत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शोध तथा विकास से जुड़े विविध विषयों पर चार श्रेणियों में फिल्म प्रविष्टियां आमंत्रित की गई थीं। प्राप्त 437 प्रविष्टियों में से 61भारतीय और 33 विदेशी फिल्मों को समारोह के लिए नामांकित किया गया है। भारत, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, रूस, कनाडा, इज़राइल, फिलीपींस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों की पुरस्कृत विज्ञान फिल्मों की विशेष स्क्रीनिंग फिल्मोत्सव में की जाएगी। फिल्म महोत्सव में किसी प्रकार का शुल्क नहीं रखा गया है। 21 से 23 जनवरी 2023 के दौरान इन फिल्मों की स्क्रीनिंग में बच्चों और छात्रों समेत हर आयु वर्ग के लोग आकर फिल्में देख सकते हैं।” इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ)-2022 का आयोजन 21 से 24 जनवरी को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में किया जा रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में आयोजित हो रहे आईआईएसएफ के 8वें संस्करण की प्रमुख विषयवस्तु ‘विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के साथ अमृतकाल की ओर अग्रसर’ है। चार दिवसीय आईआईएसएफ के दौरान 15 अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें तीन दिवसीय इंटरनेशनल साइंस फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आईएसएफएफआई) शामिल है। विज्ञान फिल्म महोत्सव का आयोजन 21 से 23 जनवरी को पं. खुशीलाल शर्मा गवर्नमेंट आयुर्वेद कॉलेज ऐंड इंस्टीट्यूट, भोपाल में किया जा रहा है।


आईएसएफएफआई के लिए नामांकित फिल्मों का चयन विशिष्ट निर्णायक मंडल द्वारा किया गया है। विज्ञान कथा, विज्ञान वृत्तचित्र, एनिमेशन, लघु फिल्म और सूचनात्मक विज्ञान वीडियो के रूप में प्रतिभागियों से गत 25 दिसंबर 2023 तक फिल्म प्रविष्टियां आमंत्रित की गई थीं। आईएसएफएफआई की श्रेणियों में स्थायी विकास के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार; जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार; बेहतर जीवन के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार; और एक गैर-प्रतिस्पर्धी श्रेणी शामिल है। फिल्म महोत्सव में विज्ञान फिल्मों के अवलोकन के साथ-साथ दर्शकों को फिल्मकारों से मिलने का अवसर भी मिल सकता है। आईआईएसएफ का आयोजन भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस); विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी); जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी); वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा मध्य प्रदेश सरकार; मध्य प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद; और विज्ञान भारती के सहयोग से किया जा रहा है। अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) की सहभागिता इस वर्ष आईआईएसएफ का एक अतिरिक्त आकर्षण होगी। इस अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव का उद्देश्य विज्ञान फिल्मों और फिल्म निर्माताओं के माध्यम से विज्ञान संचार और विज्ञान फिल्म निर्माण की रोमांचक यात्रा को प्रोत्साहन प्रदान करना है। विज्ञान फिल्मोत्सव की तीन प्रतियोगी श्रेणियों के अंतर्गत चुनी गई उत्कृष्ट विज्ञान फिल्मों के लिए 11 पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे। विज्ञान फिल्म महोत्सव वैज्ञानिक चेतना, तार्किकता एवं विश्लेषणात्मक सोच को आकार देने में भूमिका निभाता है। दूसरी ओर, फिल्म जैसे लोकप्रिय माध्यम द्वारा यह महोत्सव उत्साही छात्रों और फिल्मकारों को विज्ञान से जुड़ने का अवसर भी प्रदान करता है।


‘IISF to foster theme of G20 – One Earth, One Family, One Future’



The 8th edition of the India International Science Festival (IISF) is going to be held during 21-24 January 2023, at Maulana Azad National Institute of Technology (MANIT), Bhopal, Madhya Pradesh. Scientists, technologists, policymakers, artisans, startups, farmers, researchers, students, and innovators from India and abroad will participate in the festival popularly called ‘Vigyan Mahakumbh’. Union Minister of State for Science & Technology (Independent Charge) and Minister of State (Independent Charge) for Ministry of Earth Sciences, Minister of State Prime Minister's Office, Personnel, Public Grievances, Pensions, Atomic Energy and Space, Dr Jitendra Singh has said, “IISF is a festival to celebrate the achievements of India’s scientific and technological advancements with students, innovators, craftsmen, farmers, scientists and technocrats from India and abroad.” Dr Jitendra Singh also called for more Deep Tech startups and startups in newer areas with Indian signature. “IISF-2022 is vital as it coincides with India assuming the presidency of the G-20. The activities during the festival will also foster the global theme of G20 – ‘One Earth, One Family, and One Future’, Dr Singh added.
The theme of this edition of IISF is ‘Marching towards Amrit Kaal with Science, Technology, and Innovation’. The primary purpose of IISF is the celebration of science by all. Through its creative programmes and activities, IISF provides an opportunity for the scientific communities and the general public to come together and experience the joy of doing science for the wellbeing of India and humanity.


Speaking at the IISF’s ‘Curtain Raiser’ programme held in New Delhi, Dr Jitendra Singh informed that several events would be running parallel with the participation of more than 8,000 delegates from across the country and abroad. Over one lakh local visitors are expected to witness and remember the festival for its unique grandeur and creativity in science. The Ministry of Science and Technology (MoS&T), Ministry of Earth Sciences (MoES), Department of Atomic Energy (DAE), Department of Space (DoS), Government of India, and Government of Madhya Pradesh are jointly organising IISF 2022. The Department of Biotechnology, Ministry of Science & Technology is the nodal coordinating department for the Festival. The Madhya Pradesh Council of Science and Technology (MPCOST) is the local partner, and Vijnana Bharati (VIBHA) will be the Knowledge Partner. Regional Centre for Biotechnology (RCB), Faridabad, Department of Biotechnology, is the nodal agency organising the festival. Like previous editions, several other S&T Ministries and Departments are also involved in organising the event. Om Prakash Saklecha, Minister of Micro, Small and Medium Enterprises and Science and Technology in the Government of Madhya Pradesh, has said that a science colony would be set up especially for the IISF-2022.IISF is a unique interaction platform for students, scientists, innovators, citizens, policymakers, and industries, including startups. India has entered the ‘Amrit Kaal’ during which it is essential to make science more accessible for everyone so that they can participate in the growth of the nation with the true spirit of Janbhagidari (people’s participation). The theme for this year’s IISF will ignite the spirit of using science, technology, and innovations to address social issues. Fifteen different events will be conducted during the festival: Artisan's Technology Village - Vocal for Local; Face-to-Face with New Frontiers in Science; Guinness Book of World Records; Mega Science and Technology Exhibition; National Social Organizations and Institutions Meet (NSOIM); New Age Technologies Show; Science through Games and Toys; Startup Conclave; State Science & Technology Councils Conclave; Students' Innovation Festival (SIF); Students Science Village 2022; VIGYANIKA – Science Literature Festival; Young Scientists Conference; and 15 Mentoring & Counselling (Scientific Discussion) sessions, and last buy not the least, the International Science Film Festival of India. Face-to-face with frontiers of science at IISF-2022 will be a unique opportunity for students, where they will be able to directly interact with eminent personalities / scientists / industrialists of India. The event will be an interactive session attended by 1200-1400 students from 8th standard to Post graduate. A mentor’s desk would be set up to guide the students and parents about potential innovative initiatives. In the interest of school children and their parents, the festival will also have a special section showcasing smart and intelligent toys. India Science (https://www.indiascience.in), the nation's own science & technology OTT channel, has exclusively prepared fifteen short films showcasing the focal themes of all the fifteen events. IISF-2022 is the eighth edition of the event since its inception in the year 2015. The first and second editions of IISF were held in New Delhi, the third in Chennai, the fourth in Lucknow, the fifth in Kolkata, the sixth through virtual mode, and the last IISF in Goa. In 2020, COVID-19 posed a serious challenge to this annual event. However, the flow of the program was not allowed to be interrupted by organizing it on a virtual platform.


मेगा एक्स्पो’ में दिखेगी भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों की झाँकी


अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ने के साथ-साथ भारत ने कोविड-19 की वैक्सीन बेहद कम समय में बनाकर पूरी दुनिया के सामने अपनी वैज्ञानिक क्षमता की मिसाल पेश की है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय प्रयोगशालाओं और हमारे वैज्ञानिकों की उपलब्धियों की एक लंबी सूची है। लेकिन, अपने देश की इन उपलब्धियों के बारे में बहुसंख्य लोगों को जानकारी नहीं है। भारत की ऐसी अनेक वैज्ञानिक उपलब्धियों, स्टार्टअप्स और नवाचारों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर भोपाल में 21 से 24 जनवरी तक आयोजित होने वाले ‘मेगा साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी एक्स्पो’ के दौरान मिल सकता है। देश के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों, शैक्षिक संगठनों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं, सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रम, भारतीय उद्योगों की उपलब्धियों और सफलता की कहानियों को मेगा एक्स्पो में प्रदर्शित किया जाएगा। इस मेगा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी के आयोजन का उद्देश्य उत्साही छात्रों, उभरते युवा वैज्ञानिकों और आम जनता को शिक्षित करना और उनमें वैज्ञानिक चेतना विकसित करना है। इस प्रदर्शनी में पिछले आठ वर्षों के दौरान माननीय प्रधानमंत्री द्वारा की गई विभिन्न पहलों को भी प्रदर्शित किया जाएगा, जिसमें ‘आत्मानिर्भर भारत’, ‘स्वच्छ भारत अभियान’, ‘डिजिटल इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’, आदि प्रमुखता से शामिल हैं।भोपाल स्थित मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी परिसर में आयोजित होने जा रहा यह चार दिवसीय मेगा साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी एक्स्पो, इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ) का एक प्रमुख घटक है। नई दिल्ली में आईआईएसएफ के कर्टेन रेजर कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है – “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के अंतर्गत प्रयोगशाला से धरातल तक वैज्ञानिक सफलताएं पहुंची हैं और 'जीवन में सुगमता' लाने के लिए हर घर में विज्ञान के अनुप्रयोगों का उपयोग किया गया है।” केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आईआईएसएफ-2022 अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत द्वारा जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता ग्रहण करने के साथ आयोजित हो रहा है।


स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 तक आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करने और देश को एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ को आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है। इसी के साथ अगले 25 वर्षों के अमृतकाल के दौरान देश को वैज्ञानिक महाशक्ति बनाने के लिए पुरजोर प्रयास किये जा रहे हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत के व्यापक और बहुआयामी प्रयासों की झलक यहाँ देखने को मिलेगी। इस मेगा प्रदर्शनी की थीम - ‘विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के साथ अमृतकाल की ओर अग्रसर’ है। आईआईएसएफ का आयोजन भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस); विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी); जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी); वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा मध्य प्रदेश सरकार; मध्य प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद; और विज्ञान भारती के सहयोग से किया जा रहा है। अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) की सहभागिता इस वर्ष आईआईएसएफ का एक अतिरिक्त आकर्षण होगी।


We have to make India the most advanced laboratory of modern science



The 108th Indian Science Congress was inaugurated today by Prime Minister Shri Narendra Modi via video conferencing. This year the congress is being organised at the Rashtrasant Tukadoji Maharaj Nagpur University, which is also celebrating its centenary. The focal theme of this year’s event is “Science and Technology for Sustainable Development with Women Empowerment”. During the coming 5 days (3-7 January), discussions on sustainable development issues, women empowerment, and the role of science & technology in achieving that will be discussed by the participants. They will deliberate on ways to increase the participation of women in higher echelons of teaching, research, and industry, along with finding ways to provide women with equal access to STEM (Science, Technology, Engineering, and Mathematics) education, research opportunities, and economic participation. A special programme to showcase the contribution of women in science and technology will also be held, with lectures by renowned women scientists. In his inaugural address, the Prime Minister highlighted the role of India’s scientific strength in India’s story of development over the next 25 years, the ‘Amrit Kaal’. “When the spirit of national service gets infused in science along with passion, results are unprecedented. I am sure, India’s scientific community will ensure a place for our country of which it was always deserving”, he said. Pointing out that observation is the root of science, and it is by such observations that scientists follow patterns and arrive at required results, the Prime Minister underlined the importance of gathering data and analysing results.


Informing that India has been entrusted with the responsibility to preside over G-20, the Prime Minister pointed out that women-led development is one of the high-priority subjects taken up by the chair. Concluding his address, the Prime Minister said, “In Amrit Kaal, we have to make India the most advanced laboratory of modern science”. Governor of Maharashtra, Bhagat Singh Koshyari; Union Minister of Road Transport & Highways, Nitin Gadkari; Union Minister of State (Ind. Charge) Science & Tech; (Ind. Charge) Earth Sciences (Ind. Charge); Minister of State PMO, DoPT, Atomic Energy, and Space Dr Jitendra Singh; and Chief Minister of Maharashtra Eknath Shinde and Deputy Chief Minister of Mahrashtra Devendra Fadnavis were also present at the inaugural event. Various programmes will be organised alongside the Indian Science Congress. Children’s Science Congress is being organised to help stimulate scientific interest and temperament among children. Farmer’s Science Congress will provide a platform to improve the bio-economy and attract the youth to agriculture. Tribal Science Congress will also be held, which will be a platform for the scientific display of indigenous ancient knowledge systems and practices, along with focusing on empowering tribal women. The Science Communicators’ Meet and Women Science Congress will be held on January 5th, along with several concurrent plenary sessions on Agriculture and Forestry Sciences, Anthropological and Behavioural Sciences, Information and Communication Sciences & Technology, New Biology, and many more. Nobel laureates, leading Indian and foreign researchers, experts and technocrats will participate in the plenary sessions. A mega expo titled ‘Pride of India’ will also be organised during the congress, featuring significant developments and achievements primarily from the Indian science and technology sectors.


जी20 में भारत की अध्यक्षता के साथ शुरू होगा साइंस-20


बीस देशों के अंतर-सरकारी और अंतरराष्ट्रीय मंच जी20 में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। औद्योगिक और विकासशील दोनों देशों के इस संघ का मुख्य फोकस वैश्विक अर्थव्यवस्था के गवर्नेंस पर रहा है। हालाँकि, पिछले कई वर्षों से जी20 देशों का समूह जलवायु परिवर्तन के शमन और सतत् विकास जैसी अन्य वैश्विक चुनौतियों के समाधान की दिशा में काम कर रहा है। इस कड़ी में, जी20 के कई कार्यकारी समूहों की स्थापना की गई है, जिनमें साइंस-20 (एस20) शामिल है। जी20, एस20 और इसके जैसे अन्य कार्यसमूहों की अध्यक्षता वर्ष 2023 में भारत के पास रहेगी। वर्ष 2023 के लिए एस20 का विषय "अभिनव और सतत् विकास के लिए विघटनकारी विज्ञान" होगा। इस व्यापक विषय पर भारत के विभिन्न हिस्सों (अगरतला, लक्षद्वीप और भोपाल) में साल भर विमर्श आयोजित किये जाएंगे। भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलूरु एस20 के लिए सचिवालय होगा। विमर्श के मुद्दों में मुख्य रूप से सार्वभौमिक समग्र स्वास्थ्य, विज्ञान को समाज एवं संस्कृति से जोड़ना और हरित भविष्य के लिए स्वच्छ ऊर्जा शामिल हैं। विज्ञान की भूमिका पर केंद्रित विमर्श की इस श्रृंखला में पुदुच्चेरी में एक इंसेप्शन बैठक और कोयम्बटूर में एक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।जी20 के एजेंडा को आगे बढ़ाने में एस20 की भूमिका महत्वपूर्ण है। समावेशी और टिकाऊ विकास सुनिश्चित करते हुए लाखों लोगों को गरीबी के दलदल से बाहर निकालने के लिए आवश्यक आर्थिक सशक्तीकरण के लिए विज्ञान को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। हालाँकि, केवल वैज्ञानिक प्रगति ही काफी नहीं है। सार्थक विकास के लिए सदस्य राष्ट्रों के सहयोग की आवश्यकता होगी। तभी विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुभव एवं सफलताओं को एक दूसरे के साथ साझा किया जा सकेगा। इसलिए, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एस20 एक आदर्श मंच माना जा रहा है।आईआईएससी के वक्तव्य में कहा गया है कि एस20 के एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए भारत एक विशिष्ट स्थिति में है। राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक क्षेत्र सहित मानव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के विचारों के लिए भारत ने ऐतिहासिक रूप से एक इनक्यूबेटर के रूप में कार्य किया है।

वास्तुकला, खगोल विज्ञान, गणित, चिकित्सा, धातु विज्ञान, वस्त्र, जहाज निर्माण, नगर नियोजन, वस्त्र के क्षेत्र में सदियों से की गई खोजों और नवाचारों की लंबी सूची भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों की समृद्ध विरासत को प्रकट करती है। उदाहरण के लिए, कई शताब्दियों पहले रासायनिक विज्ञान में हुई प्रगति ने हमें दुनिया में उच्चतम ग्रेड की धातुओं और मिश्र धातुओं के उत्पादन में सक्षम बनाया है। आईआईएससी के वक्तव्य में कहा गया है कि अपनी बौद्धिक विरासत तथा विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में वर्तमान कौशल और स्थिरता एवं नवाचार की परंपरा के साथ, भारत के पास अब विकास के लिए विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी बनने का अवसर है। एस20 शिखर सम्मेलन उन्नति के लिए एक नया रास्ता बनाने में भारत की यात्रा का द्योतक है।